संविधान दिवस के शुभ अवसर पर कौशलेंद्र राव विधि महाविद्यालय में भव्य व्याख्यान माला कार्यक्रम का आयोजन कर लोगों को क्या प्रेरणा दी गई, देखें खबर...

बिलासपुर/छत्तीसगढ़ - कौशलेंद्र राव विधि महाविद्यालय बिलासपुर में संविधान दिवस की शुभ अवसर पर व्याख्यान माला का कार्यक्रम आयोजन किया गया था, जिसमें भारत का संविधान के पृष्ठभूमि व महिला सशक्तिकरण और उनके सुरक्षा का संवैधानिक प्रावधानों के बारे में छात्र-छात्राओं के द्वारा आयोजन में भाग लेकर अपने-अपने विचार प्रकट किया, माननीय प्रिंसिपल सर, वाइस प्रिंसिपल मैम, सभी स्टाफ उपस्थित होकर बच्चों को संविधान क्या है और इन्हें क्यों लाया गया इसके संदर्भ में जानकारी बताते हुए महिलाओं को सशक्त और उनके सुरक्षा के लिए बनाए गए कानून को बतलाया गया जिसमें महिलाओं को सशक्त कैसे किया जाए इसकी जानकारी देते हुए व्याख्यान माला में, भाग लेने वाले छात्र-छात्राओं ने बड़ी जोर शोर से संविधान के बारे में बताते हुए कहा कि हमारा भारत का संविधान एक ऐसा संविधान जिसमें हमें समानता का मौलिक अधिकार प्रदान करता है, इसी तरह से महिलाओं के सशक्तिकरण और सुरक्षा के बारे में संवैधानिक प्रावधानों के बारे में बताते हुए हमारे देश में जन्मे वीरांगनाओं , देवियों का अनेको रूप के बारे में व्याख्या करते हुए पुरुष प्रधान देश में नारी प्रधान, नारी सम्मान के लिए हमारे संविधान ने भी विभिन्न प्रकार की अधिनियम, आईपीसी, आर्टिकल्स बने हुए हैं, हमारे भारत में यूनाइटेड नेशन्स ने 8 मार्च 1975 से अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मानते चले आ रहे हैं, ताकि महिलाओं को समान दृष्टि से देखा जा सके, जब भारत आजाद नहीं हुआ था तब भारत के महिलाओं के ऊपर दुर्व्यवहार किया जाता था, पर्दा प्रथा, भ्रूण हत्या, बाल विवाह, सती प्रथा, दहेज प्रथा, स्थायी विधवापन जैसे मतभेद उनके ऊपर अत्याचार किया करते थे, जिनको संविधान बनने के बाद समाप्त कर दिया गया। महिलाओं की सुरक्षा के लिए

 1. न्यूनतम मजदूरी अधिनियम (1948) -

2. खान अधिनियम (1952) और कारखाना अधिनियम (1948)

3. हिंदू विवाह अधिनियम (1955)

4. हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (1956)

5. अनैतिक देह व्यापार (रोकथाम) अधिनियम (1956)

6. दहेज निषेध अधिनियम (1961) -

7. मातृत्व लाभ अधिनियम (1961) -

8. गर्भावस्था अधिनियम (1971) -

9. समान पारिश्रमिक अधिनियम (1976) -

10. महिलाओं का अश्लील प्रतिनिधित्व (प्रतिषेध) अधिनियम, 1986

11. सती (रोकथाम) अधिनियम (1987) -

12. राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम (1990) -

13. घरेलू हिंसा अधिनियम (2005) -

14. कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम (2013) - 

15. कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम (1948)

19 बागान श्रम अधिनियम (1951)

20 बंधुआ श्रम प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम (1976)

21 कानूनी चिकित्सक (महिला) अधिनियम (1923)

22 भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम (1925)

23 भारतीय तलाक अधिनियम (1896)

24 पारसी विवाह और तलाक अधिनियम (1936)

25 विशेष विवाह अधिनियम (1954)

26 विदेशी विवाह अधिनियम (1969)

श्रीमती स्वाति विनय श्रीवास्तव सहायक प्राध्यापक ने संविधान के अंतर्गत स्थानीय विधि के परिप्रेक्ष्य में महिलाओं की स्थिति से संबंधित संवैधानिक प्रावधानों पर प्रकाश डाला, छात्रसंघ प्रभारी प्रो. रमेश पांडे ने मूल अधिकार, मूल कर्तव्य एवं नीति निर्देशक तत्वों का जीवन में महत्व बताया। व्याख्यान माला में आशीष यादव, खुमान भास्कर, खलीफा डहरिया, शाहरुख अली, नूतन चंद्राकर, पिताम्बर खांडे, पूर्णिमा गुप्ता, साहिल पाडे, माधव शर्मा ने सहभागिता दी। समस्त प्रतिभागी छात्र-छात्राओं को महाविद्यालय परिवार की ओर से स्मृति चिन्ह एवं प्रमाण पत्र दिया गया। कार्यक्रम का संचालन सूरज शर्मा द्वारा किया उक्त कार्यक्रम में महाविद्यालय के पूर्व छात्र जितेंद्र सिंह, हरीश बंजारे, वैभव दुबे सहित रुपेश यादव, अनुराग प्रधान, अभिषेक, घनश्याम, अमन पाण्डेय, आकाश शुक्ला, शौर्य आदित्य साहिल बन्दे, संदीप चंद्राकर, अभय तिवारी, अंजूलता साहू, मुस्कान आकांक्षा, यामिनी कौशिक, रश्मि यादव, कुमकुम सोनी, सैमसन निशा, मनीष दुबे, अभिलाषा, अन्नू, योगेश, आयुष, नमन, मंजू, विक्रांत शुक्ला, स्वर्णिम तिवारी, रितिकेश, बागीश सहित, सहायक प्राध्यापक डॉक्टर सोनाली पोद्दार, श्रीमती आराधना गुप्ता,  अंकुर यादव, सहित अधिसंख्य छात्र- छात्राओं ने सहभागिता प्रदान किया।


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