मुंगेली /छत्तीसगढ़ :- राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली एवं छ.ग. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के तत्वाधान में दिनांक 14 दिसम्बर 2024 को मुंगेली जिले मे लोक अदालत का आयोजन किया जाना है जिसे सफल बनाये जाने हेतु दिनांक 23.11.2024 को जिला न्यायालय परिसर मुंगेली में आवश्यक बैठक हुई। इस अवसर पर चन्द्र कुमार अजगल्ले अध्यक्ष/जिला न्यायाधीश, श्रीमति कीर्ति लकड़ा न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय, नीरज शर्मा प्रथम अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, बलराम कुमार देवांगन मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, श्रीमति रेशमा बैरागी पटेल द्वितीय व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-एक, श्रीमति कंचन लता आचला, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कु. श्वेता ठाकुर, व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-दो मुंगेली, सुश्री नारायणी कच्छप, प्रशिक्षु न्यायाधीश, राजमन सिंह ठाकुर, अध्यक्ष अधिवक्ता संघ मुंगेली, बीमा कंपनी के अधिकारी तथा संबंधित संस्थाओं के अधिवक्ता उपस्थित रहे। उक्त बैठक में आदरणीय चन्द्र कुमार अजगल्ले, अध्यक्ष/प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश मुंगेली के द्वारा सभी इंश्योरेंस कंपनियों से संबंधित लंबित प्रकरणों को अधिक से अधिक संख्या में निराकरण कराये जाने बाबत् चर्चा की गई। जिससे नेशनल लोक अदालत में राजीनामा होने वाले लंबित प्रकरणों का अधिक से अधिक निराकरण किया जा सकें।
लोक अदालत का मुख्य उद्देश्य क्या होता है :-
लोक अदालत का उद्देश्य न्यायालय के बाहर विवादों का सुलह-समझौते से निपटारा करना है। इसे जन अदालत भी कहा जाता है। यह निष्पक्ष और सरल न्याय प्रदान करती है। संपत्ति अधिग्रहण, वित्तीय विवाद और वैवाहिक मुद्दों जैसे पारिवारिक विवादों का लोक अदालतों द्वारा व्यापक और प्रभावी ढंग से समाधान किया जाता है,राष्ट्रीय लोक अदालत 2024: निःशुल्क राष्ट्रीय विधिक सेवाएं वैकल्पिक विवाद समाधान प्रक्रियाओं में से एक लोक अदालत है, जो अदालत में चल रहे या मुकदमेबाजी से पहले के चरण में मामलों और विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए एक मंच है।
लोक अदालत का दूसरा नाम क्या है :-
लोक अदालत का दूसरा प्रकार स्थायी लोक अदालत है, जो विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की धारा 22-बी के अंतर्गत आयोजित की जाती है।
लोक अदालत के जनक कौन थे :-
लोक अदालत की स्थापना का विचार सर्वप्रथम भारत के पूर्व मुख्य न्यायमूर्ति पी.एन. भगवती द्वारा दिया गया था। सबसे पहली लोक अदालत का आयोजन 1982 में गुजरात में किया गया था।
भारत में कितने प्रकार का अदालत है :-
भारत में मुख्य रूप से 6 तरह की अदालते मौजूद हैं। इनमें सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट, डिस्ट्रिक्ट कोर्ट, ट्रिब्यूनल, फास्ट ट्रैक कोर्ट और लोक अदालत शामिल हैं।
लोक अदालत में फैसला कैसे होता है :-
लोक अदालत अपने स्वयं के अनुरोध पर संदर्भित मामले का निर्णय नहीं करेगी, बल्कि पक्षों के बीच समझौते या समाधान के आधार पर उसका निर्णय किया जाएगा। सदस्य स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से पक्षों को उनके विवाद के सौहार्दपूर्ण समाधान तक पहुंचने के उनके प्रयास में सहायता करेंगे।
0 टिप्पणियाँ